शब्द आणि रंग
Thursday, July 7, 2011
पाउस धारा
रिमझिम झरती पाउस धारा
छेडीत कुणी जणू सतार तारा
भिजलेल्या अन स्वरात हळव्या
डोलत होता परिसर सारा
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